👁️ "जिस लड़की से वो प्यार करता था, उसकी आंखों में कोई और रहता था..."
कर्नाटक के पहाड़ी क्षेत्र में बसा छोटा-सा कस्बा
आरुष — अकेला, सीधा-सादा लड़का, इंजीनियरिंग छात्र
नायरा — बेहद खूबसूरत, रहस्यमयी लड़की
🕰️ कहानी शुरू होती है...
आरुष हाल ही में अपने कॉलेज ट्रिप पर विसरग नाम के हिल-स्टेशन पर आया था। जहां वो रुकने वाले हॉस्टल से कुछ ही दूर एक पुराना टी-पॉइंट था, जहां सिर्फ लोकल लोग ही आते थे।
वहीं पहली बार उसकी नज़र पड़ी — नायरा पर।
सफ़ेद कुर्ता, चेहरे पर अजीब सी शांति, और आंखें — इतनी गहरी कि जैसे किसी और दुनिया की लड़की।
नायरा वहाँ रोज़ आती थी… लेकिन कभी चाय नहीं पीती थी। बस सामने बैठती और आरुष को एकटक देखती।
धीरे-धीरे दोनों की बातचीत शुरू हुई।
💓 प्यार या फंदा?
तीन दिनों में दोनों बहुत करीब आ गए। नायरा के सवाल कुछ अजीब होते —
अगर मैं अपनी आंखें तुम्हें दे दूँ… क्या तुम मेरी दुनिया देखना चाहोगे?”
आरुष हँसता — “तुम्हारी आंखें ही तो हैं, जिनमें मैं रोज़ खो जाता हूँ।”
लेकिन उसे नहीं पता था कि वो जिसे आंखें समझ रहा था, वो किसी और की कैद थीं।
अचानक शुरू हुआ खून और चीखों का खेल
चौथे दिन, टी-स्टॉल पर काम करने वाला बूढ़ा चायवाला राम्या काका बोला
बेटा, उस लड़की से दूर रहो… यहां 10 साल में जो भी उसकी आंखों में देखता है, वो वापस नहीं लौटता।”
आरुष डर गया। लेकिन प्यार में पड़ा था।
रात को नायरा ने उसे बुलाया — अकेले पहाड़ की चोटी पर।
हवा बहुत तेज़ चल रही थी… और सामने खड़ी नायरा अचानक बोलने लगी:
मुझे अब और आंखें चाहिए…”
“तुम्हारी आंखों से मैं देखना चाहती हूँ — हमेशा के लिए।”
और फिर... उसकी आंखें लाल हो गईं। चेहरा स्याह पड़ गया। ज़मीन कांपने लगी।
😱 रूह कंपा देने वाला पल
नायरा की आवाज़ बदल गई थी —
मैं नायरा नहीं हूँ... मेरा नाम लेना भी मौत बुलाना है...
मुझे 101 आंखें चाहिए थीं… 100 मिल चुकी हैं।
अब बस तुम्हारी आंखें बाकी हैं... आरुष।"
वो हवा में उठ गई। आरुष पीछे हटा… भागा।
पर नायरा नहीं दौड़ी। उसकी आंखें दौड़ीं।
आंखें हवा में तैर रही थीं — आरुष के चेहरे की तरफ।
🕳️ अंत जो आपकी नींदें उड़ा देगा
अगली सुबह टी-स्टॉल बंद था। आरुष का कोई पता नहीं चला। हॉस्टल वाले ढूंढते रहे।
5 दिन बाद एक बंद गुफा में मिला — सिर्फ एक शीशा… और शीशे पर खून से लिखा था:
उसकी आंखों में झांका… अब वहीं हूं।”
अगर कोई और मेरी आंखों में देखेगा — वो भी उसी दुनिया में फंस जाएगा।”
गुफा में रखा था — एक जार, जिसमें थीं दो इंसानी आंखें, और एक पगली-सी हँसी की रिकॉर्डिंग — जो बजती जा रही थी…
तेरी आंखें अब मेरी हैं… तेरी दुनिया भी…"
⚰️ आज भी वो टी-पॉइंट...
किसी को नज़र नहीं आता, पर कुछ लोग कहते हैं —
रात को 2:12 पर एक लड़की वहां बैठती है, और जो कोई भी उससे बात करता है… अगले दिन उसकी आंखें सफेद हो जाती हैं।
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